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Vivechana Theater Group

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Telephone: 9425387580, 0761-2422070
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जबलपुर में सन् 1960 के आसपास का समय सांस्कृतिक रूप से सक्रियता का समय था। प्रोफेसर ताम्हनकर ने इन्हीं दिनों एक ऐसे मंच की जरूरत महसूस की जो विभिन्न ज्वलंत विषयों पर परिसंवाद आयोजित करे। विशिष्ट वक्ताओं को बुलाकर व्याख्यान आयोजित किये जा सकें। इसी विचार के साथ विवेचना का जन्म हुआ। उस समय विवेचना में सक्रिय हुए सर्वश्री हरिशंकर परसाई, मायाराम सुरजन, शेषनारायण राय, डा रमन, महेन्द्र वाजपेयी, हनुमान वर्मा, ज्ञानरंजन, डा के के वर्मा, डा ए पी सिंह आदि।

सन् 1974-75 के आसपास विवेचना में प्राध्यापकों का एक नया समूह सक्रिय हुआ। विवेचना में कुछ युवा और छात्र जुडे+। उस समय एम ए के छात्र शशांक ने एक रात में नुक्कड़ नाटक लिखा ’जैसे हम लोग’ और 1 मई 1975 को इस नाटक का प्रदर्शन नगर की सड़कों चैराहों पर किया गया। जबलपुर शहर में पहला अवसर था जब नुक्कड़ नाटक मंचित हुआ। पहले नाट्य समारोह से विवेचना के नाटक कला परिषद के समारोहों के अनिवार्य अंग बन गये। उसके बाद विवेचना मेंे प्रतिवर्ष कम से कम एक नया नाटक तैयार हुआ। पहला मंच नाटक गिनी पिग (1976) था। फज्ल ताबिश का नाटक डरा हुआ आदमी (1977),गोदो के इंतजार में (1978) दरिन्दे(1978) दुलारी बाई (1979) इकतारे की आंख (1979) अखाड़े से बाहर (1980) जुलूस(1981) दशकुमार चरित (1983) नुक्कड़ नाटक ’राजा का बाजा’ और ’मशीन’ ’इंस्पेक्टर मातादीन चांद पर’ (1984) ’पोस्टर’ (1985) ’राम रचि राखा’ (1986) ’एक अराजक की अचानक मौत’ (1987) सगीना महतोे (1984) ’इडीपस’ संस्कृत नाटक ’उरूभंगम’ ’लोककथा’, ’हरदौल’, ’भोले भड़या’, ’दूर देश की कथा, रामलीला, सैंया भये कोतवाल, हानूश, थेंक्यू मि ग्लाड जैसे नाटक तैयार हुए। 1989 में विवेचना को संगीत नाटक अकादमी की यंग डायरेक्टर्स योजना के अंतर्गत ईसुरी नाटक करने का मौका मिला। यह नाटक बहुत प्रसिद्ध हुआ और पूरे देश में इसके पचास के लगभग मंचन हुए। वर्ष 2008 व 2009 मेंं राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के सहयोग से विवेचना ने सुनील सिन्हा के निर्देशन में थियेटर वर्कशाप आयोजित किया।

सन् 2006 में वसंत काशीकर के निर्देशन में विवेचना ने ’मायाजाल’ नाटक तैयार किया। इसके मंचन जबलपुर, भोपाल, भिलाई, हरदा आदि शहरों में हुए। सन् 2007 में वसंत काशीकर के निर्देशन में ’मानबोध बाबू’ तैयार हुआ। इसके 30 मंचन देश के सभी प्रमुख शहरों और प्रदेशों में हो चुके हैं। सन् 2008 में वसंत काशीकर के निर्देशन में ’सूपना का सपना’ तैयार हुआ। सन् 2009 में वसंत काशीकर के निर्देशन में नाटक ’मित्र’ तैयार किया गया। सन् 2010 में वसंत काशीकर के निर्देशन में ’मौसाजी जयहिन्द’ और ’आंखों देखा गदर’ तैयार किया गया। सन् 2011 में वसंत काशीकर के निर्देशन में ’अर्जेन्ट मीटिंग’ और ’दस दिन का अनशन’ तैयार किए गए। इस नाटक के मंचन अब तक देश के सभी बड़े शहरों में हो चुके हैं और बहुत सराहे गये हैं। सन् 2012 में वसंत काशीकर के निर्देशन में ’सवाल अपना अपना’ तैयार किया गया। सन् 2013 में वसंत काशीकर के निर्देशन में ’बड़ी बुआजी’ का मंचन किया गया। जिसके मंचन इंदौर व जबलपुर में हुए। सन् 2014 में ’कंजूस’ और सन् 2015 में वसंत काशीकर के निर्देशन में मृदुला गर्ग का नाटक ’दुल्हन एक पहाड़ की’, ’पोस्टर’ तैयार हुए। जनवरी 2016 में वसंत काशीकर के निर्देशन में विजय तेन्दुलकर के प्रथम नाटक ’ कौओं की पाठशाला’ का हिन्दी में प्रथम मंचन विवेचना ने किया है। सितंबर 2016 में मोतीलाल केमू के मूल डोगरी नाटक ’खोया हुआ गांव’ का मंचन किया गया।

विवेचना द्वारा सन् 1994 से राष्ट्रीय नाट्य समारोह का आयोजन शुरू किया गया है। सन् 1994 से अब तक तेइस राष्ट्रीय नाट्य समारोहों में अब तक अबतक सर्वश्री हबीब तनवीर, बा.व.कारंत, बंसी कौल, राज बिसारिया, सतीश आलेकर, जुगल किशोर, तनवीर अख्तर, दिनेश खन्ना, नादिरा बब्बर, के एस राजेन्द्रन उषा गांगुली, सुरेश भारद्वाज, अरविंद गौड़, रवि तनेजा, अवतार साहनी, मनोज नायर, अशोक बांठिया, पियूष मिश्रा, रंजीत कपूर, अनिलरंजन भौमिक, संजय उपाध्याय, इप्टा भिलाई, वेदा राकेश, नजीर कुरैशी, बलवंत ठाकुर, जावेद जैदी व श्रीमती गुलबर्धन, अलखनंदन, लईक हुसैन, विजय कुमार, अजय कुमार, विवेक मिश्रा, अशोक राही, वसंत काशीकर, दिनेश ठाकुर, जे पी सिंह मानव कौल, डा एम सईद आलम, रमेश तलवार, अनूप जोशी, इमरान राशिद, त्रिपुरारी शर्मा, महमूद फारूखी, अजीत चैधरी, मनीष जोशी, अनूप जोशी, अर्जुनदेव चारण, सुदेश शर्मा, अवनीश मिश्रा, दानिश इकबाल, इश्तियाक आरिफ खान द्वारा निर्देशित 125 नाटक मंचित हो चुके हैं। जबलपुर का यह नाट्य समारोह अब पूरे देश में रंगकर्मियों को आकर्षित करता है।


इप्टा से विवेचना का विश्ेाष सरोकार है। विवेचना इप्टा की जबलपुर इकाई के रूप में कार्यरत है। विवेचना के सचिव हिमंाशु राय इप्टा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं। जबलपुर से विवेचना द्वारा इप्टावार्ता मासिक का प्रकाशन किया जाता है। विवेचना द्वारा समय समय पर अनेक पुस्तिकाओं का प्रकाशन किया गया है।

वर्तमान में विवेचना के अध्यक्ष अनिल श्रीवास्तव, राजेन्द्र जैन उपाध्यक्ष व सचिव हिमांशु राय हैं। बांकेबिहारी ब्यौहार कोषाध्यक्ष हैं। विवेचना के कला निर्देशक वसंत काशीकर हैं।

विवेचना सन् 1975 से रजिस्टर्ड मूल संगठन है। जो लगातार श्रेष्ठ प्रस्तुतियों और कार्यक्रमों के आयोजन में रत हैं। विवेचना को राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के द्वारा आयोजित पूर्वात्तर क्षेत्र राष्ट्रीय नाट्य समारोह में ’मौसाजी जैहिन्द’ के मंचन हेतु आमंत्रित किया गया। इस नाटक के मंचन इस समारोह में गंगटोक, अगरतला, जोरहाट और तूरा में हुए।
 


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